Congress 4 S Card In Karnataka Election: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया है. 224 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस को 135 सीटों पर जीत मिली है. चुनावों में बीजेपी को पटखनी देने के बाद 2024 को लेकर कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं. इस शानदार जीत के बाद कांग्रेस के चार ‘एस कार्ड’ के बारे में चर्चा हो रही है, जो इसके अहम सूत्रधार रहे. 

कांग्रेस के इन चार एस कार्ड की चर्चा करेंगे, लेकिन उसके पहले उनके बारे में जान लेते हैं. इनमें से दो शीर्ष कांग्रेस नेता कर्नाटक के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व सीएम सिद्धारमैया हैं. इन दोनों का नाम तो चारों तरफ चर्चा में घूम ही रहा है और ये किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं.

कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष के रूप में डीके शिवकुमार ने अंतरविरोधों और फूट से जूझ रही पार्टी की राज्य इकाई में नई जान फूंकी तो सिद्धारमैया ने एक बड़े नेता के रूप में पिछड़े, दलितों और मुस्लिमों को पार्टी के साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

तीसरे एस कार्ड ने रची चुनावी रणनीति 

तीसरा एस कार्ड चुनाव रणनीतिकार सुनील कनुगोलू हैं, जिनकी कांग्रेस की जीत में अहम भूमिका रही. कनुगोली पर सर्वे करवाने, चुनाव प्रचार, उम्मीदवार तय करने समेत रणनीति बनाने की जिम्मेदारी थी. वे कांग्रेस की 2024 के लिए बनी टास्क फोर्स के सदस्य हैं. यह टास्क फोर्स कांग्रेस उदयपुर नव संकल्प को लागू करवाने के लिए बनाई गई एक टीम है.

कनुगोली को राहुल गांधी के नेतृत्व में निकली भारत जोड़ो यात्रा की खातिर समर्थन जुटाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी. कर्नाटक में जीत के बाद अब पार्टी ने उन्हें मध्य प्रदेश के लिए काम सौंप दिया है. कर्नाटक के बेल्लारी में जन्में कनुगोलू इसके पहले बीजेपी, डीएमके और एआईएडीएमके के लिए काम कर चुके हैं.

कांग्रेस के वार रूम में था चौथा एस कार्ड

पार्टी की जीत के सूत्रधारों में चौथा और महत्वपूर्ण ‘एस कार्ड’ 44 वर्षीय पूर्व आईएएस अफसर शशिकांत सेंथिल हैं, जो बेंगलुरु में कांग्रेस के वार रूम की कमान संभाले हुए थे. सेंथिल ही थे, जिन्होंने विभिन्न तरीकों से भ्रष्टाचार को लेकर बोम्मई सरकार के खिलाफ पटकथा तैयार की.

यह सेंथिल का ही आइडिया था, जिसके आधार पर कांग्रेस ने बीजेपी को निशाना बनाते हुए भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों की पूरी सीरीज शुरू की. इसमें ’40 प्रतिशत कमीशन सरकार’ सबसे खास था तो बोम्मई को निशाना बनाते हुए ‘पेसीएम’ अभियान ने भी खूब सुर्खियां बटोरी. इसमें एक क्यूआर कोड वाले पोस्टर के साथ बोम्मई की तस्वीर पूरे बेंगलुरु में लगाई थी. इस पोस्टर का कैप्शन ‘पेसीएम’ दिया गया था.

पोस्टरों ने बोम्मई का हैदराबाद तक पीछा किया था, बैनर के साथ, “40 प्रतिशत कमीशन सीएम में आपका स्वागत है”, वहां भी सामने आया जब उन्होंने तेलंगाना की राजधानी का दौरा किया।

कौन हैं शशिकांत सेंथिल ?

2009 बैच के कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी शशिकांत सेंथिल सितम्बर 2019 में सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने दक्षिण कन्नड़ जिले में डिप्टी कमिश्नर के रूप में सेवा करते हुए आईएएस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने इस्तीफे के समय कहा था, जब हमारे लोकतंत्र के मूल्यों से समझौता किया जा रहा है, ऐसे समय में सरकार में एक लोकसेवक के रूप में उनके लिए अपनी ड्यूटी को जारी रखना अनैतिक था.

सेंथिल ने तब कहा था, “मुझे यह भी दृढ़ता से लगता है कि आने वाले दिन हमारे राष्ट्र के बुनियादी ताने-बाने के लिए बेहद कठिन चुनौतियां पेश करेंगे और मैं आईएएस से बाहर रहकर सभी के लिए जीवन को बेहतर बनाने के अपने काम को जारी रखूंगा.” .

1 साल बाद कांग्रेस में हुए शामिल 

नरेंद्र मोदी सरकार के नागरिकता संसोधन अधनियम (सीएए) के कट्टर विरोधी सेंथिल ने आईएएस की नौकरी छोड़ने के बाद देश भर में यात्रा की. इस दौरान वह सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे लोगों से मिले. तमिलनाडु के रहने वाले सेंथिल ने नवंबर 2020 में, तमिलनाडु के वरिष्ठ नेता केएस अलागिरी और एआईसीसी के तत्कालीन महासचिव दिनेश गुंडू राव की उपस्थिति में कांग्रेस का हाथ थाम लिया.

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान आए राहुल के करीब

पार्टी ने उन्हें पहली बड़ी जिम्मेदारी 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में दी. इसमें उन्हें चेन्नई स्थित पार्टी के वार रूम में काम करने का मौका मिला. यहां उनके काम से पार्टी प्रभावित हुई और भारत जोड़ो यात्रा जब कर्नाटक पहुंची को फिर जिम्मेदारी मिली. यहां उन्हें राहुल गांधी और सिविल सोसाइटी के सदस्यों के बीच संपर्क का काम दिया गया था. इस दौरान राहुल गांधी के करीब आने का मौका मिला.

इसके बाद उन्हें सबसे चुनौती पूर्ण काम मिला जब उन्हें कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस के वॉर रूम की जिम्मेदारी मिली. सेंथिल और उनकी टीम ने कांग्रेस के लिए अभियान और सोशल मीडिया रणनीतियों को तैयार करने के लिए दिन-रात काम किया. यह सेंथिल की ही मेहनत थी, जिसने 40% कमीशन सरकार को चुनावी चर्चा में ला दिया. 

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